जमशेदपुर : दिवाली हर्षोल्लास संपन्न हो गयी. इसके बाद अब छठ पर्व को लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है. झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में यह महापर्व काफी उत्साह और श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है. हालांकि इस वर्ष छठ पूजा पर कोरोना महामारी का असर देखा जा सकता है. सार्वजनिक स्थानों पर कम भीड़ जुटाने की अपील की जा रही है. लोगों से कहा जा रहा है कि वे घर पर ही जल स्रोत बनाकर पूजा-अचर्ना करें. लेकिन विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों से स्तर पर नदी-तालाबों के किनारे साफ-सफाई की जा रही है. छठ पूजा को लेकर सरकार की ओर से अब तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गयी है, इससे व्रतियों, समाजसेवियों व स्वयेंसेवी संगठनों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
18 नवंबर को नहाय-खाय के साथ ही होगा छठ महापर्व का शुभारंभ होगा
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन व्रत रखने महिलाएं स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण करती हैं. शाम को शाकाहारी भोजन करती हैं. इसके अगले दिन खरना होता है. खरना यानी कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को भोजन करती हैं. शाम को चावल व गुड़ से खीर बनाकर खाई जाती है. इसके बाद तीसरे दिन छठ छठ महापर्व का प्रसाद बनाया जाता है. अधिकांश स्थानों पर चावल के लड्डू बनाए जाते हैं. ठेकुआ बनाया जाता है. प्रसाद व फल बांस की टोकरी में सजाये जाते हैं. टोकरी की पूजा की जाती है. व्रत रखने वाली महिलाएं अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ देने और पूजा के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाती हैं. स्नान कर अस्त होते सूर्य की पूजा की जाती है. तरह छठ के दिन निर्जला व्रत रख कर चौथे दिन व्रती महिलाएं उदीयमान (उगते) सूर्य देव को अर्घ देते हैं. इस तरह उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ देने के साथ छठ महापर्व संपन्न होता है. इस तरह चार दिवसीय छठ पर्व पूर्ण होता है.
- 18 नवंबर (पहला दिन) : नहाय खाय
- 19 नवंबर (दूसरा दिन) : खरना
- 20 नवंबर (तीसरा दिन) : छठ (अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ)
- 21 नवंबर : (चौथा दिन) : उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ व महापर्व संपन्न.