शार्प भारत डेस्क : बच्चों की परीक्षा का समय आते ही हमें कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। हम अपने जीवन में आजकल इतना व्यस्त हो चुके हैं कि हमें अपने भविष्य को बनाने के अलावा और किसी बात की चिंता ही नहीं होती, जिसके कारण पारिवारिक जीवन अंदर ही अंदर कुंद होता रहता है। पति-पत्नी में भी आए-दिन क्लेश होते रहते हैं, कई बार तो बच्चों की पढ़ाई की वजह से घर में क्लेश बड़ा रूप ले लेता है जिसके कारण परिवार में भी तनाव बन जाता है. बच्चों की पिटाई करना भी अच्छा नहीं लगता, क्योंकि जिसे इतना प्यार करते हैं, उसी औलाद पर कैसे हाथ उठा दें। समस्या का ये कोई हल भी नहीं है, ऐसा बिलकुल न करें। बच्चों में बढ़ती उम्र के साथ जिद्दीपन, गुस्सा, छोटी-छोटी बातों को लेकर घर में तोड़ फोड़ करने की आदत न जाने कहां से आ जाती है, फिर यही सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि हम तो ऐसे नहीं थे फिर हमारे बच्चे ऐसे कैसे हो गए। आइये आज हम ऐसी ही बहुत सी परेशानियों के हल निकालने का प्रयास करते हैं। (नीचे भी पढ़ें)
मन का न लगना या फिर याद करके भूल जाना-
जो बच्चे पढ़ने लिखने में ध्यान नहीं देते हैं, बच्चों को हमेशा उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके पढ़ने के लिए कहें, बच्चों की स्टडी टेबल पर सफेद या लाल रंग का प्रयोग करें। उनको सबसे पहले तो गहरे नीले और काले रंग से परहेज करवाएं, उनके कमरे में भी इन रंगों को न करवाएं।सूर्यास्त के बाद बच्चों को दूध न पिलाएं अगर पीना ही हो तो रंग बदलकर पीने दें। घर से सभी तरह के नए-पुराने बिजली के खराब सामान, बंद घड़ियां, खोटे सिक्के, जंग लगा हुआ लोहा आदि बाहर निकालें, क्योंकि इनकी दुर्गंध सांस के द्वारा जब अंदर जाती है तो दिमाग में सहन शक्ति कम होने लगती है और याददाश्त कमजोर होती है साथ ही यही घर में बीमारी भी कभी खत्म नहीं होने देते। चांदी के बर्तन में गंगाजल भरकर चांदी का एक चैकोर टुकड़ा डालकर बच्चों के पढ़ने वाले कमरे में रखें। बच्चे के कमरे में बृहस्पति की पोटली कील पर लटका दें।बच्चों के कमरे में मां सरस्वती जी की फोटो उत्तर दिशा की तरफ जरूर लगाएं। (नीचे भी पढ़ें)
परीक्षा के दौरान क्या करें और क्या नहीं करें–
जब भी बच्चा परीक्षा देने जाये तो उससे पहले 6 दिन लगातार 600 ग्राम दूध मंदिर में रखें। काले, नीले रंग के कवर वाले पेन न ले जाएं, और पेन का ढक्कन अगर सुनहरा हो तो बहुत ही अच्छा होगा। बच्चों को 6 से 7 घंटे की नींद जरूर लेने दें, न ही इससे ज्यादा नींद लेने दें और ना ही इससे कम नींद लेने दें। नीले, काले रंग के कपड़े पहनकर एक्जाम देने ना जाएं, अगर भूल जाने की आदत हो तो हरे रंग से परहेज रखें। जो बच्चे अपनी पढ़ाई टिककर नहीं करते अर्थात धैर्य से नहीं पढ़ते उनको सवा 5 रत्ती लाल मूंगा (बंगाली मूंगा अति उत्तम होता है) चांदी में लगवाकर शुक्ल पक्ष में मंगलवार के दिन सीधे हाथ की अनामिका अंगुली में पहना दें। रत्न के लिए सही तरह से जन्मकुंडली का देखना जरूरी होगा। (नीचे भी पढ़ें)
बच्चों में बढ़ता गुस्सा और जिद्दीपन
बच्चों में बढ़ते गुस्से और जिद्दीपन को रोकने के लिए हर मंगलवार 8 गुड़ की रोटियां तंदूर में लगवाकर 4 कुत्तों को डालें और 4 कौवों को डालें, रोटियों में लोहे की छड़ न लग पाये। बच्चों को अच्छे और सहनशील दोस्तों का चयन करना सिखाएं। बच्चों की पिटाई ना करें, इससे उनके अंदर का डर एक दिन खत्म हो जाएगा, बहुत ज्यादा होने पर ही ऐसा कदम सोच समझकर उठाएं। घर की छत पर किसी भी प्रकार का कबाड़, लोहा, लकड़ी आदि न रखें। उनके कमरे की और कपड़ों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। चांदी के बर्तन में गंगाजल भरकर चांदी का एक चौकोर टुकड़ा डालकर बच्चों के पढ़ने वाले कमरे में रखें। बच्चे के कमरे में बृहस्पति की पोटली कील पर लटका दें। खेलने का कम से कम एक से डेढ़ घंटे मौका अपने बच्चों को जरूर दें जिससे कि उन्हें पसीना जरूर आये और श्वांस प्रक्रिया के द्वारा दिमाग में, ऑक्सीजन पहुंच सके, मुंह से सांस न लेने की आदत डाले, इससे बच्चे की याददाश्त बढ़ेगी।बच्चों को देर रात तक न जागने दें और सुबह देर तक ना सोने दें। सुबह जल्दी जगाकर उनके कमरे में अच्छी हल्की खूशबू की अगरबत्ती या परफ्यूम लगा दें जिससे कि जब वे जागें तो एक सकारात्मक सोच के साथ दिन की शुरूआत हो।
प्रस्तुति – ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश पाठक
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